क्लाइंट के साथ अपना रिश्ता सुरक्षित करने और बढ़ाने में मदद के लिए, एक्‍टीविटी और रिजल्‍ट दोनों के लिए जिम्मेदारी दिखाना महत्वपूर्ण है
 
कंसल्‍टेंट्स के बारे में एक सबसे आम गलतफहमी यह है कि वे बस चीजें करवाने के लिए कोई जिम्मेदारी नहीं रखने वाले "सलाह देने वाले" होते हैं। इस दोषपूर्ण धारणा को दूर करने के लिए यहां तीन टिप्‍स हैं:
 
जहां उपयुक्त हो, पहल करने की कोशिश करें। प्रोजेक्ट स्‍टार्ट करवाने के लिए शुरूआती मीटिंग बुलाने के लिए किसी क्‍लाइंट का इंतजार न करें। शायद आप अपने क्‍लाइंट को एक नई पहल के लिए ड्राफ्ट प्रपोजल प्रदान कर सकते हैं। आप प्रपोज्‍ड टाइम, जगह और सुझाए गए पार्टीसिपेंटस सहित मीटिंग शुरू करने के लिए ड्राफ्ट एजेंडा भी पेश कर सकते हैं। (याद रखें कि यहां उद्देश्य आपके क्‍लाइंट की आसानी से आगे बढ़ने में मदद करना है और टेक ओवर करने वाला नहीं दिखना है!)
प्रोजेक्ट करें कि, प्रपोज्‍ड प्रोजेक्‍ट या पहल का कम रिजेक्‍ट, बढ़े हुए रिवेन्‍यु, कम लागत आदि के रूप में ऑर्गनाइजेशन के लिए क्‍या परिणाम होगा। रिजल्‍ट के अपने प्रोजेक्‍शन में संभव आऊटकम की रेंज प्रदान करके जितना हो सकता है, आप स्‍पेशिफिक रहें।
प्‍लान्‍ड प्रोजेक्‍ट की देखरेख करने या उसके एक्‍जीक्‍युशन में स्‍पेशिक भूमिका निभाने का ऑफर दें।
 
टिप: पहल डेमोंस्‍ट्रेट करने और टैंजिबल डिलिवरेबल्स के लिए ज़िम्मेदारी लेने के फलस्‍वरूप आप अपने क्‍लाइंट की टीम का अधिक एक्टिव मेंबर बन सकते हैं; वह मेंबर जो पूरी तरह से ऑर्गनाइजेशन के लक्ष्यों के साथ जुड़ा है। इसका अक्सर नतीजा आपको अधिक असाइनमेंट भेजा जाना हो सकता है!
 
सोर्स: इंस्टीट्युट ऑफ मैनेजमेंट कंसल्टेंट्स – USA