1970: कंसल्टिंग फर्मों का फलना-फूलना जारी रहा, भले ही इकोनॉमी धीमी गति से आगे बढ़ रही थी। इस प्रास्पिरिटी में योगदान देने वाले प्रमुख कारक कंसल्टिंग फर्मों का ग्लोबल होना और बिजनेस का कम्प्यूटरीकरण था, जिससे सिस्टम कंसल्टेंट्स की, खासतौर से CPA फर्मों और हार्डवेयर मैन्युफैक्चरर्स से मांग में वृद्धि हुई।
1973: बैन एंड कंपनी द्वारा एक बार में महीनों के लिए कंपनियों में दर्जनों कंसल्टेंट भेजने का एक नया बिजनेस ट्रेंड स्थापित किया गया। क्लाइंट पर यह भारी फ़ोकस और रिलेशनशिप बिल्डिंग उस समय बहुत नया था और इससे बेन के लिए बहुत तेजी से विकास करना संभव हुआ।
1978 में कंसल्टिंग फर्मों ने सालाना 30,000 डॉलर की औसत सैलरी पर हार्वर्ड बिजनेस स्कूल के 22% MBA क्लास इंप्लाय करके पावरफुल हायरिंग फोर्स का गठन किया।
1976-1980: यह आइडिया कि फर्मों को बनाई गई वेल्थ अधिकतम करके शेयरहोल्डर वैल्यु बनाने की कोशिश करना चाहिए, जोखिम का फाइनेंसियल मॉडल लाने वाले और कंसल्टिंग प्रैक्टिस में वापस लौटने वाले प्रमुख थिंकर्स द्वारा खूब प्रोत्साहित किया गया।