अपने क्‍लाइन्‍ट्स के साथ काम करते समय, मैं अक्सर उन्हें समस्या हल करने के लिए "टॉप डाऊन" और "बॉटम अप" अप्रोच अपनाने की बात करते हुए सुनता हूं। कौन सा तरीका सबसे अधिक कारगर है?
"टॉप डाउन" और "बॉट-अप" टर्म्‍स का अक्सर इस्‍तेमाल यह इंडीकेट करने के लिए किया जाता है कि ऑर्गनाइजेशन के भीतर डिसीजन कैसे लिए जाते हैं या पहल कैसे की जाती है।

  • "टॉप डाउन" अप्रोच वह अप्रोच होता है जिसमें टॉप लेवल का मैनेजमेंट अपनाया जाने वाला अप्रोच निर्धारित करता है और फिर इसे ऑर्गनाइजेशनल पदानुक्रम के निचले स्तर तक फैलाता है।
  • ‘’बॉटम अप’’ अप्रोच आम तौर पूरे ऑर्गनाइजेशन में बदलाव लाने या डिसीजन लेने के लिए एक साथ मिलकर काम करने वाले ऑर्गनाइजेशन के निचले स्तर पर लोगों से उत्पन्न होता है।
  • "टॉप डाउन" अप्रोच आमतौर पर अनुपालन सुनिश्चित करता है।
  • ’बॉटम अप’’ अप्रोच आम तौर पर मजबूत ऑर्गनाइजेशनल खरीद सुनिश्चित करता है। हालांकि कुछ निश्चित परिस्थितियों में एक अप्रोच दूसरे से बेहतर हो सकता है, आमतौर पर प्रोजेक्‍ट के जीवनकाल के दौरान दोनों अप्रोच काम में लाने की जरूरत होती है और यह केवल उनका संतुलन कायम करने का सवाल है। वास्तव में, उपयुक्त समय पर "मिक्‍स और मैच करना" बेहतर हो सकता है (प्रोजेक्ट के एक स्‍टेज में "टॉप डाउन" अप्रोच काम में लाए और दूसरे में "बॉटम अप" अप्रोच काम में लाएं)।
 
टिप: एक ही अप्रोच अपनाने की कोशिश में जल्दी न करें। पहचानें कि अधिकतर यह कारगर ढंग से दो तरीकों में संतुलन कायम करने का सवाल होता है।<
सोर्स: इंस्‍टीट्युट ऑफ मैनेजमेंट कंसल्टेंट्स - USA